अनदेखा इश्क़

अनदेखा इश्क़


"अनदेखा इश्क़"

यह कहानी है एक छोटे पहाड़ी कस्बे धूपगढ़ की। चारों ओर ऊँची-ऊँची पहाड़ियां, हरे-भरे जंगल और नीले आसमान के नीचे बसा यह कस्बा दिन में जितना खूबसूरत दिखता था, रात को उतना ही रहस्यमय हो जाता था।

कस्बे के सबसे पुराने हिस्से में एक वीरान हवेली थी — "मधुबन हवेली"। कहते हैं, सालों पहले वहां एक खूबसूरत लड़की आनंदिता अपने परिवार के साथ रहा करती थी। उसका प्रेम कहानी गांव में आज भी लोग सिहरते हुए सुनाते हैं।

अजनबी की आमद

शहर से आए आर्यन नाम का लड़का, जिसने हाल ही में अपना कॉलेज पूरा किया था, घूमने के लिए धूपगढ़ आया। वह पुराने किले, हवेलियां और जंगल देखना चाहता था।

एक दिन वह मधुबन हवेली के सामने पहुंचा। हवेली जर्जर हालत में थी, लेकिन उसमें एक अनोखी बात थी — मानो कोई अभी भी वहां रह रहा हो। खिड़कियों पर पर्दे लहरा रहे थे, और हवेली के आंगन में लाल गुलाब खिले हुए थे।

आर्यन को जाने क्यों उस हवेली ने अपनी तरफ खींच लिया।

पहली मुलाकात

शाम ढलने लगी थी। आर्यन दरवाज़े की तरफ बढ़ा। तभी खिड़की पर एक लड़की का चेहरा झलकता दिखा। सफेद साड़ी, खुले लंबे बाल, बड़ी-बड़ी काली आंखें।

आर्यन ठिठक गया।
"कोई यहां रहता है?" उसने सोचा।

तभी पीछे से एक आवाज़ आई —
"तुम पहली बार आए हो ना यहां?"

आर्यन ने पलटकर देखा — वही लड़की। उसकी मुस्कान किसी जादू से कम नहीं थी।

"मैं आनंदिता हूं," लड़की ने कहा।

आर्यन भी मुस्कुरा दिया। उन्होंने बातें शुरू की। आनंदिता ने हवेली, पहाड़ों और पुराने ज़माने की ढेरों कहानियां सुनाईं।

धीरे-धीरे अंधेरा गहराने लगा।

"अब मुझे चलना चाहिए," आर्यन ने कहा।

"कल फिर आना," आनंदिता ने कहा और हवेली के अंदर चली गई।

हर रोज़ मिलने लगे

अगले दिन से आर्यन हर शाम हवेली आता। दोनों पेड़ के नीचे बैठकर बातें करते। कभी वो गीत गाती, कभी आर्यन अपनी शहर की कहानी सुनाता।

धीरे-धीरे आर्यन को आनंदिता से मोहब्बत हो गई। उसकी आंखों में एक अजीब सी उदासी थी, जो उसे और भी खास बनाती थी।

एक दिन आर्यन ने हिम्मत करके कहा —
"आनंदिता, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं।"

आनंदिता मुस्कुराई, लेकिन उसकी आंखें भीग गईं।

"आर्यन, मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं… मैं इस दुनिया की नहीं हूं।"

आर्यन हंस पड़ा।
"क्या मतलब? मज़ाक मत करो।"

"सच कह रही हूं। मैं एक आत्मा हूं। सौ साल पहले इसी हवेली में मेरा कत्ल हो गया था। मैं आज भी यहीं हूं।"

पुरानी कहानी

आनंदिता ने बताया कि सौ साल पहले उसका प्रेमी रघुveer उससे शादी करना चाहता था। लेकिन आनंदिता के पिता ने ज़बरदस्ती उसकी शादी ज़मींदार के बेटे से तय कर दी थी।

आनंदिता और रघुवीर ने हवेली में मिलने का वादा किया। लेकिन उसी रात ज़मींदार के आदमी आ गए। रघुवीर को मार डाला और आनंदिता को भी मारकर उसी हवेली के कुएं में फेंक दिया।

"तब से मैं यहीं हूं… उसी रात का इंतज़ार करती हूं, जब कोई सच्चा प्रेमी आए और मेरा अधूरा प्रेम पूरा करे।"

आर्यन की मोहब्बत

आर्यन सुनकर सन्न रह गया। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

"आनंदिता, अगर मेरा प्यार सच्चा है तो मैं तुम्हें मुक्त करूंगा।"

आनंदिता बोली —
"अगर सच में मुझसे प्रेम है, तो आज रात 12 बजे हवेली के पुराने कुएं पर आना। वहां मेरी आत्मा बंधी हुई है।"

अंतिम मिलन

रात 12 बजे आर्यन गुलाब का फूल लेकर हवेली पहुंचा। पूरा माहौल अजीब सा था। हवेली में हर तरफ हवा का शोर, दूर कुत्तों के भौंकने की आवाज़, और खिड़कियां अपने आप खुल-बंद हो रही थीं।

कुएं के पास आनंदिता खड़ी थी। उसका चेहरा आज शांत था।

"आर्यन, अगर तुम मुझे सच्चे दिल से अपनाते हो, तो मेरा श्राप खत्म हो जाएगा।"

आर्यन ने कहा —
"मैं तुमसे मोहब्बत करता हूं आनंदिता। इस जन्म में नहीं, तो अगले जन्म में सही, लेकिन हमेशा करता रहूंगा।"

उसने गुलाब कुएं में डाल दिया। अचानक हवेली रोशनी से भर उठी। आनंदिता की आत्मा मुस्कुराई और धीरे-धीरे रोशनी में बदल गई।

"धन्यवाद, आर्यन। अब मैं आज़ाद हूं।"

आनंदिता की आत्मा आसमान की तरफ उड़ गई।

आज भी…

कहते हैं, धूपगढ़ में आज भी गुलाब के मौसम में हवेली के आंगन में सुर्ख लाल गुलाब खुद-ब-खुद खिल जाते हैं। और कभी-कभी हवेली के झरोखे से एक लड़की की परछाईं झांकती है।

जो भी सच्चे दिल से प्रेम करता है, वो हवेली में आए — तो हवा में आज भी उस आवाज़ की गूंज सुनाई देती है —

"मैं यहीं हूं… अपने सच्चे प्यार के इंतज़ार में…"


समाप्त।

अगर आपको ऐसी और रोमांटिक-भूतिया कहानियां चाहिए, तो बताइए। मैं और भी लिख दूंगा। कैसी लगी ये कहानी? ❤️👻